नामली विद्युत विभाग में बैठे हैं नकारा कर्मचारी, अपनी जिम्मेदारियों से झाड़ते है पल्ला
रतलाम। वैसे तो जब विद्युत विभाग की बकाया की बात हो या फिर कुर्की का ऑर्डर सारे कर्मचारी किसानों को चेन से सोने भी नहीं देते ओर दुनियां भर के कानून सीखा देते हैं
लेकिन बात जब किसानों की बिजली सप्लाई की आए या फिर किसी कारण से बिजली खराब हो जाएं और उसे उधारने के लिए किसान इन जिम्मेदारों को सूचना करते हैं तो इन जिम्मेदारों को कोई फर्क नहीं पड़ता फिर चाहे उस किसान की फसल ही क्यों ना सुख जाएं
मेंटेनस के नाम पर घंटो बिजली बंद रखी लेकीन इस आंधी तूफ़ान ने सारी पोल खोल दि क्योंकि अगर मेंटनेस हुआ था तो फिर सारे पोल झाड़ गिरने की वजह से ही क्यों टूटे यह भी बड़ा सवाल है आज भी कई पोलो के वायर पेड़ो की टहनियों में दिख रहे ओर कई जगह वायर नीचे भी लटकते मिल जायेंगे ना इन वायरो को खींचा जाता है और ना ही सही मायने में मेंटनेंस का कार्य किया जाता है सिर्फ खाना फुर्ती कर इति श्री किया गया जिसका नतीजा इस विगत दिनों की आंधी से सामने दिखाई दिया।
ऐसा ही मामला सिखेड़ी गांव में देखने को मिल रहा है यहां विगत आठ दिन पहले तेज आंधी के कारण कई जगह पोल टूट गए और कई जगह पोल के वायर टूट कर गिर गए।
विगत आठ दिनों से खेतो की सप्लाई नहीं मिलने से हर तरफ किसानों के पशुओं को पिलाने के लिए पानी तक नहीं मिल पा रहा है वही कई किसानों की फसल भी पानी के अभाव में मुरझाने लग गई है
लेकिन नामली विद्युत वितरण केन्द्र में बैठे नकारा जिम्मेदारों को आठ दिनों से खराब पड़ी बिजली के पोल खड़े करने के लिए संसाधन भी नहीं मिल पा रहे हैं
वहीं जब न्यूज़ वार 24 ने नामली के विद्युत वितरण केन्द्र पर बैठे जिम्मेदारों से दूरभाष पर संपर्क कर मामले से अवगत करवाया तो पता चला की यहां बैठे जिम्मेदार अधिकारी भी एक दो दिन में पोल लगवाने की बात कह रहे हैं
इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन अधिकारी और कर्मचारी को सिर्फ नाम मात्र की ड्यूटी निभाने से मतलब हैं बाकी किसानो के दुख दर्द इन्हे दिखाई नहीं देते हैं अगर यह जिम्मेदार पोल लगाने के लिऐ संसाधनों का इंतजार कर रहे ओर उन्हे पोल खड़ा करने के लिए संसाधन नहीं मिल पा रहे तो आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में विकल्प के तौर पर कई JCB मशीन भी चल रही लेकीन नाच ना जाने आंगन टेटा?
इसी पहेली जैसा इनका काम भी देखने को मिल रहा है।
बरहाल अब देखना होगा की इन जिम्मेदारों की नींद कब तक खुलती है नहीं तो ऐसा ही रवैया चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब किसान भी अपनी ख़राब फसल नुकसानी को लेकर मानहानि का दावा ठोक दे। क्योंकि अगर समय पर इन फसलों में सिंचाई नहीं हुई तो फसलें ख़राब होना तय है और अगर आठ आठ दिनों तक भी बिजली सप्लाई सुधार कर सुचारू रूप से नहीं दि जाएं तो गलती जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी की ही साफ दिखाई देती हैं।